बच्चों को जीवन जीने की कला के बारे में सिखाया

जालंधर, नूरमहल आश्रम में कैंप के द्वितीय सैशन के दूसरे दिन साध्वी राजविंदर भारती जी ने विज्ञान प्रयोगों के माध्यम से बच्चों को जीवन जीने की कला के बारे में सिखाया| जैसे ‘स्क्रीमिंग बैलून’ परीक्षण जिस में गुब्बारे में एक छेद के माध्यम से एक हेक्स नट डालते हैं और गुब्बारे को फुलाते हैं। जब गुब्बारा छोड़ा जाता है, तो नट गुब्बारे के अंदर घूमता है, जिससे “स्क्रीमिंग” की एक बहुत तेज आवाज आती है। इस प्रयोग से बच्चों को सिखाया गया आप पढाई में या किसी भी कठिन परिस्थिति में हैं उस समय छोटी छोटी समस्यायों और चिंतायों को सही समय रहते नियंत्रण करना बहुत जरुरी होता है, क्यूंकि अगर उसे सही समय पर नियंत्रित न किया जाये तो चीजें बेकाबू हो जाती हैं जिसके परिणाम बहुत बुरे हो सकते हैं | इसलिए उस समय ध्यान देना और सही समय पर उन पर काबू पा लेना बहुत महत्वपूर्ण है | आगे उन्होंने बच्चों से फिज़िंग कलर्स प्रयोग में बेकिंग सोडा और सिरके का उपयोग करके रंगीन प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करवाई । और इस प्रयोग से बच्चों को शिक्षित किया कि छोटी-छोटी चीजें भी जीवन में बड़े परिणाम दे सकती हैं। हम किसी को गरीब देखकर उसे कमजोर नहीं समझ सकते, हम घर की आर्थिक तंगी से ये तय नहीं कर सकते कि मेरा भविष्य कुछ नहीं है। विश्व में बहुत से ऐसे चेहरे हैं जिन्होंने आर्थिक तंगी में भी परिश्रम एवं दृढ़ संकल्प से आज पूरे विश्व में अपना और अपने माता पिता का नाम रौशन किया है|

इसके बाद साध्वी प्रज्ञा भारती जी ने बच्चों को जीवन में पौष्टिक आहार एवं स्वच्छता के प्रति प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि अगर आप इस उम्र में अपने खाने का नियमित अनुशासन बनाते हो तो यह नियम आपके भविष्य को खुशहाल एवं स्वस्थ बनाएगा। क्यूंकि आज कल अधिकतर बच्चे जंक फूड को अपनाकर छोटी आयु में ही भयंकर बिमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। सात्विक भोजन शारीरिक के साथ साथ आपको मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखता है। व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए उन्होंने बच्चों को खाने से पहले हाथ धोना, रोजाना स्नान करना, दाँत साफ़ करना इत्यादि के प्रति प्रशिक्षित किया। इसी के साथ साध्वी जी ने पर्यावरण का सन्देश देते हुए बताया कि आज समाज में प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि मेरे पास एक अच्छा घर हो, अच्छा दोस्त हो, अच्छा परिवार हो किन्तु अच्छे पर्यावरण के बारे में कोई भी नहीं सोचता। पर्यावरण की संभाल करके हम उस पर कोई उपकार नहीं कर रहे, अपितु स्वयं का ही जीवन सुरक्षित करेंगे। साध्वी जी ने इसकी संभाल के लिए बच्चों को अधिक से अधिक वृक्ष लगाने एवं पानी की बचत के प्रति जागरूक किया।

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